पौधों एवं जीव-जन्तुओ की लगभग 25,000 से 30,000 प्रजातियाँ विनाश के कगार पर हैं। ऐसी जातियों के पौधे व जीव जन्तु को विलुप्त या संकटापन्न प्रजातियां (endangered species) कहते हैं। इनका संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। इनका वर्णन रेड डाटा बुक में किया गया है। Red data book मैं पृथ्वी पर मौजूद तथा विलुप्त हो चुके सारे जीव जंतुओं का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है। इस किताब में जीव जंतु या पक्षी को पहली बार कब देखा गया, अंतिम बार कब देखा गया, सभी रिकॉर्ड रखा जाता है। इस रिकॉर्ड को तीन अलग-अलग भागों में बांटा गया है।
द इंडियन प्लांट्स रेड डाटा बुक में विलुप्त हो रहे जीव-जन्तुओ की जातियों को निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत किया गया है-
विलुप्त जीव-जंतु पौधे (Extinct) समूह
ऐसे पौधे एवं जीव जो कि पूर्व में किसी विशेष स्थान में पाये जाते थे, लेकिन वर्तमान में वे अपने प्राकृतिक स्थानों से पूणतः लुप्त हो गये हैं, उन्हें ही विलुप्त प्रजातियाँ कहते हैं। ऐसे जीव-जंतु, पौधे जब उनके प्राकृतिक आवास स्थानों पर उपलब्ध नहीं होते तब इन्हें विलुप्त प्रजाति माना जाता है। अतः इनका संरक्षण करना बिलकुल असम्भव होता है। |
लुप्तप्राय (Endangered) समूह
ऐसी पादप प्रजातियाँ जो कि लुप्त होने की कगार पर है तथा उन्हें विलुप्त होने से नहीं बचाया जा सकता है, अर्थात् जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा बना रहता है उन्हें लुप्तप्राय प्रजाति कहते है। पृथ्वी पर ऐसी प्रजातियों की संख्या धीरे- धीरे इतनी कम हो जाती है कि उनमें प्रजनन की सम्भावनाएँ पूरी तरह से समाप्त हो जाती हैं जिसके कारण ये धीरे-धीरे विलुप्त होने लगती हैं।
वल्नेरेबिल या चपेट में (Vulnerable) समूह
हमारी पृथ्वी पर ऐसी पादप प्रजातियाँ जो कि कुछ ही समय में लुप्तप्राय स्थिति में पहुँचने वाली है। उन प्रजातियों को वल्नेरेबिल प्रजातियाँ कहते हैं । यदि इन्हें लगातार उन्हीं परिस्थतियो का सामना करना पड़ता है तब ये प्रजातियाँ भी लुप्त होने लगती हैं।
दुर्लभ (Rare) समूह
ऐसी पादप प्रजातियाँ एवं पेड़-पौधे जो कि संसार में कहीं-कहीं पर और बहुत कम संख्या में पायी जाती है। उन प्रजातियों को दुर्लभ प्रजातियाँ कहते है। ऐसी प्रजातियाँ प्रारम्भ से ही लुप्तप्राय या वल्नेरेबिल नहीं होती है, लेकिन धीरे-धीरे लुप्तप्राय स्थिति में आ जाती हैं और अन्त में समाप्त होने की कगार पर होती है।
अपर्याप्त जानकारी (Insufficient Knowledge) समूह
ऐसी प्रजातियां जो ऊपर दिए गए समूह में नहीं आती एवं उनकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं, लेकिन धीरे-धीरे लुप्तप्राय स्थिति में आ सकती है।
खतरे से बहार (Out of danger) समहू
ऐसी प्रजातियां जो संरक्षण के पश्चात पूर्व के आवास पर आसानी से रहने लग जाती है एवं उनकी प्रजाति ऊपर दिए गए समूह में नहीं आती।
इन संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण करना बहुत जरुरी है।