MP board Class 12th Physics Lesson 2 Vidhyut Dharita Tatha Vibhav: (कक्षा 12वीं – भौतिकी) पाठ – 2 विद्युत धारिता तथा विभव, महत्वपूर्ण प्रश्न
महत्वपूर्ण बिंदु
- विद्युत विभव – एकांक धनावेश को विद्युत क्षेत्र के बाहर से विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में जो कार्य करना पड़ता है, उसे उस बिंदु का विभव कहते है ।
- विभव एक अदिश राशि है । इसका SI मात्रक वोल्ट है
- विभवान्तर – विद्युत क्षेत्र के अन्दर एकांक धनावेश को एक बिंदु से दुसरे बिंदु तक ले जाने में किये गये कार्य का मान उन दौनों बिन्दुओं का. विभवान्तर कहलाता है |
- विभवान्तर एक अदिश राशि है । इसका SI मात्रक वोल्ट है |
- बिंदु आवेश के कारण किसी बिंदु पर विभव –
महत्वपूर्ण जानकारी
- अक्षीय स्थिति में विद्युत दविधुव के कारण विभव
- निरक्षीय स्थिति में विभव V = 0
- विद्युत धारिता – किसी चालक की विद्युत धारिता आंकिक रूप से आवेश की उस मात्र के बराबर होती है जो चालक के विभाव में एक वोल्ट की वृद्धि कर दें। C = Q/ V
- धारिता का SI मात्रक फैराड है किन्तु फैराड बहुत बढा मात्रक होने के कारण किसी चालक की धारिता को मिली फैराड या माइक्रो फैराड में प्रदर्शित करते है |
- किसी गोलीय चालक की धारिता
- संधारित्र – संधारित्र एक ऐसी युक्ति है जिसकी सहायता चालक के आकार या आयतन में बिना वृद्धि किये बिना उसकी धारिता को बढाया जाता है | संधारित्र तीन प्रकार के होते है –
- प्लेट संधारित्र
- गोलीय संधारित्र
- बेलनाकार संधारित्र |
- समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र
- दिए गये धारिता के संधारित्रों से अधिक या कम धारिता के संधारित्र बनाने के लिए संधारित्रों को निम्न दो प्रकार से संयोजित किया जाता है – 1. श्रेणीक्रम संयोजन. 2. समान्तर क्रम संयोजन
- वान डे ग्राफ जनित्र – यह इस प्रकार की मशीन है जिसकी सहायता से दस लाख वोल्ट तक का उच्च विभ्ववान्तर उत्पन्न किया जा सकता है। इसका उपयोग करके प्रोटोन , इलेक्ट्रान आदि कणों को त्वरित करके उनकी उर्जा मैं वृद्धि की जाती है |