ओम का नियम | ओम का नियम एवं सूत्र लिखिए | ओम का नियम के उदाहरण | ओम के नियम का चित्र | ओम का नियम लिखिए और इसका सत्यापन कीजिए
ओम का नियम विद्युत धारा, विभवान्तर और प्रतिरोध के बीच संबंध स्थापित करता है। यह नियम कहता है कि यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक (या, अन्य ओमीय युक्ति) के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है। यह नियम जर्मन भौतिक विज्ञानी गेरहार्ड ओम द्वारा 1827 में प्रतिपादित किया गया था।
ओम के नियम का कथन
किसी चालक में विभवान्तर उस धारा के समानुपाती होता है जो उसमें प्रवाहित होती है, बशर्ते कि सभी भौतिक स्थितियाँ और तापमान स्थिर रहें।
या,
V ∝ I
या,
V = IR
जहाँ,
- V = विभवान्तर (Voltage)
- I = धारा (Current)
- R = प्रतिरोध (Resistance)
इस नियम के अनुसार, यदि किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर दोगुना कर दिया जाए, तो उससे प्रवाहित धारा भी दोगुनी हो जाएगी। इसी प्रकार, यदि किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर आधा कर दिया जाए, तो उससे प्रवाहित धारा भी आधी हो जाएगी।
ओम का नियम (ohm’s law) केवल उन चालकों के लिए लागू होता है जिनका ताप स्थिर रहता है। यदि चालक का ताप बढ़ता है, तो उसका प्रतिरोध भी बढ़ता है। इस कारण, विभवान्तर और धारा के बीच का संबंध ओम के नियम के अनुसार नहीं रहता है।
ओम का नियम विद्युत परिपथों के विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण नियम है। इसका उपयोग करके किसी परिपथ में धारा, विभवान्तर और प्रतिरोध के मान ज्ञात किए जा सकते हैं।
ओम के नियम का चित्र
ओम के नियम को निम्न चित्र द्वारा समझा जा सकता है:
इस चित्र में, V = विभवान्तर, I = धारा और R = प्रतिरोध है। चित्र से स्पष्ट है कि V और I के बीच सीधा अनुपात है।
ओम का नियम एवं सूत्र लिखिए
ओम का नियम विद्युत धारा, विभवान्तर और प्रतिरोध के बीच संबंध स्थापित करता है। यह नियम कहता है कि यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।
ओम के नियम का सूत्र V = IR है।
R = V/I
I = V/R
इस सूत्र का उपयोग करके वोल्टेज (V), धारा (I) या प्रतिरोध (R) का मान ज्ञात किया जा सकता है।
ओम के नियम के अनुप्रयोग
ओम के नियम के निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं:
- विद्युत परिपथ का विश्लेषण करने के लिए
- विद्युत उपकरणों के प्रतिरोध की गणना करने के लिए
- बिजली की खपत की गणना करने के लिए
ओम का नियम विद्युत विज्ञान का एक महत्वपूर्ण नियम है। इसका उपयोग करके विद्युत परिपथों और उपकरणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
ओम का नियम के उदाहरण
उदाहरण 1
एक चालक में 10 वोल्ट का विभवान्तर लगाने पर उसमें 2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है। चालक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
हल:
V = IR
10 = 2R
R = 10/2
R = 5 ओम
उदाहरण 2
एक विद्युत उपकरण का प्रतिरोध 100 ओम है। इसमें 5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है। उपकरण में विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
हल:
V = IR
V = 5 * 100
V = 500 वोल्ट
उदाहरण 3
एक विद्युत परिपथ में 220 वोल्ट का विभवान्तर है। परिपथ में प्रतिरोध 1200 ओम है। परिपथ में प्रवाहित धारा की गणना कीजिए।
हल:
V = IR
220 = 1200I
I = 220/1200
I = 0.18 ऐम्पियर
निष्कर्ष
ओम का नियम विद्युत धारा, वोल्टेज और प्रतिरोध के बीच संबंध का एक महत्वपूर्ण नियम है। यह नियम विद्युत परिपथ का विश्लेषण करने, विद्युत उपकरणों के प्रतिरोध की गणना करने और बिजली की खपत की गणना करने के लिए उपयोग किया जाता है।
ओम के नियम का प्रायोगिक सत्यापन
ओम के नियम का प्रायोगिक सत्यापन करने के लिए निम्नलिखित उपकरणों की आवश्यकता होती है:
- एक बैटरी
- एक आमीटर
- एक वोल्टमीटर
- एक प्रतिरोधक
- एक रिओस्तात
प्रयोग निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है:
- बैटरी को आमीटर और वोल्टमीटर के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ दिया जाता है।
- प्रतिरोधक को रिओस्टेट के माध्यम से वोल्टमीटर के समानांतर में जोड़ दिया जाता है।
- रिओस्टेट को घुमाकर प्रतिरोध को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
- आमीटर और वोल्टमीटर के मापन को एक सारणी में दर्ज किया जाता है।
सारणी में दर्ज आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि V और I के बीच सीधा अनुपात होता है। यह ओम के नियम का सत्यापन करता है।
उदाहरण
एक प्रयोग में, निम्नलिखित मापन प्राप्त किए गए हैं:
V (वोल्ट) | I (ऐम्पियर) |
---|---|
10 | 2 |
20 | 4 |
30 | 6 |
इन मापनों से, हम निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं:
- V और I के बीच सीधा अनुपात है।
- V = IR
इस प्रकार, ओम का नियम सत्यापित होता है।